गौरेला पेंड्रा मरवाही : संकुल स्त्रोत केंद्र (CSC) मे 90 हजार का हर वर्ष होता है गबन आखिर ईमानदार अधिकारी कब तक नजरें फेरेंगे जाँच का विषय….?

मिथलेश आयम / गौरेला-पेंड्रा-मरवाही :- जिले के संकुल स्रोत केंद्रों में हर वर्ष शिक्षा विभाग द्वारा 90 हजार रुपये की राशि दी जाती है। यह राशि संकुल केंद्र संचालन, शिक्षकों की मासिक बैठक, शिक्षकों के प्रशिक्षण, बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों, कार्यालयीन सामग्री, स्टेशनरी, मरम्मत कार्य, व जरूरत पड़ने पर किराए के भवन में संचालन पर खर्च करने के लिए दी जाती है।
मगर हकीकत कुछ और है।
जिले में कई संकुल केंद्र अपनी बिल्डिंग से वंचित हैं, कुछ जगहों पर स्कूल के किसी कमरे में या किराए के छोटे से कमरे में संचालन किया जा रहा है। संसाधनों की कमी, बैठने की व्यवस्था, स्टेशनरी और प्रशिक्षण सामग्री का अभाव साफ देखा जा सकता है। वहीं, संकुल समन्वयक की बैठकें भी सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई हैं, जिनका लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच रहा है।
कैसे खर्च होती है राशि?
सूत्रों के अनुसार संकुल समन्वयक द्वारा इस राशि से स्टेशनरी, पंखा, बल्ब, बेंच, अलमारी आदि की खरीद, कार्यालय संचालन में उपयोग होने वाली चाय-पानी व अन्य खर्च, स्कूलों के निरीक्षण पर आने-जाने का भत्ता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन पर खर्च दिखाकर राशि आहरित की जाती है। लेकिन कई जगह यह राशि कागजों पर ही खर्च दिखा दी जाती है, जबकि धरातल पर व्यवस्थाएं जस की तस रहती हैं।ग्रामीणों और शिक्षकों का कहना है कि जब हर साल 90 हजार रुपये आ रहे हैं, तो संकुल केंद्रों में व्यवस्थाएं सुधरनी चाहिए थीं। आज भी संकुल केंद्र में बैठने को कुर्सियां नहीं, स्टेशनरी का अभाव, प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं हो रहे, तो आखिर यह राशि किस पर खर्च की जा रही है, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
इस विषय में अधिकारियों का कहना है कि राशि का उपयोग संकुल केंद्र की आवश्यकता अनुसार किया जाता है, लेकिन वे यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे कि बिल्डिंग विहीन संकुल केंद्रों में राशि का वास्तविक उपयोग किस प्रकार किया गया है।
ग्रामीणों ने की जांच की मांग
ग्रामीणों व शिक्षकों ने इस राशि के उपयोग की पारदर्शी जांच की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जो राशि आ रही है, उसका सही उपयोग हो सके।यदि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, तो संकुल केंद्रों में हर वर्ष आने वाली राशि की पारदर्शिता और जवाबदेही तय करना अनिवार्य है।